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...तो अब जीपीएस सिस्टम से चलेगी लाइटे,मगर हम तो पूराने सिस्टम पर ही चलेगे...!

जैतारण(आईबीखांन)।
कल एक समाचार पत्र में यह खबर पढने को मिली "जैतारण में जीपीएस सिस्टम से चलेगी रोड़लाइट"यह पढकर अपना दिल बाग बाग हो गया...!वाकई में अपनी नगरपालिका बड़ी कमाल की है,जो साल दर साल इन लाइटों के लिए नई नई तकनीक इजाद कर इस पर लाखो रूपये आंखमूंदकर खर्च करने मे तनिक भी कंजूसी नहीं करती है।अबकि बार तो पालिका ने वो तकनीक तैयार की है जहां लोगों को यह कहने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी की फला गली मौहल्ले की लाइटें बंद है और यहां दिन में जल रही है,यह दिगर बात है की पालिका खुद जीपीएस की तर्ज पर काम न करे।जानकर लोगों का कहना है की नगरपालिका ने भले शहर मे यह तकनीक का इजाद क्यो न कर लिया हो,मगर अपना कामकाज करने के तरीक़े थोड़ी बदल रही है।बात जीपीएस तकनीक की चल रही है तो लाजमी है,इस पर ही चर्चा हो जाय...!माफ करना महाराज आपकी पालिका की कार्यप्रणाली से तो यहां अच्छे अच्छे जीपीएस सिस्टम हमने फैल होते देखे है।इससे पहले भी आपने लाखो रूपए खर्च कर पथबत्तीयो पर टाईमर भी लगाए थे या नहीं, जरा उनका हश्र किया हुआ... लाखो रूपये खर्च करने के बाद भी क्या हमने दिन बत्तीया जलती नही देखी,इन टाईमरो से हमने आधी रात मे बत्तीयो को गुल होते देखा है महाराज... अब आप शहर मे जीपीएस सिस्टम इजाद कर रहो यह आपकी स्वागत योग्य पहल है।हे महाराज आपसे यह अनाड़ी कलमकार एक छोटा सा सवाल लिए आपके व्दार खड़ा है।


सवाल यह है महाराज की लोग आपके समक्ष रोड़लाइटो की शिकायतें लेकर आते है,क्या आप उनकी शिकायतों का अबतक जीपीएस की तर्ज पर कभी समय पर समाधान किया हो तो इस अनाड़ीकलमकार को कोई एकाद नजीर पेश कर बताने की कृपा करे...शायद ऐसी नजीर यहां है ही नहीं,जबकि इस अनाड़ी के पास ऐसी दर्जनों नजीरे वर्षों से पड़ी है।चलते चलते अपन तो यहीं कहेंगे की आपने मेरे यार शहर मे जीपीएस तकनीक का इजाद किया वो,अच्छी पहल है मगर मेरा निवेदन बस इतना ही है की यह सिस्टम जब तक सुचारू चले जब तक की इसकी लागत किमत वशूल न हो जाय...बाकि का सिस्टम अब तक इस पालिका मे चलता आया है उसे चलने देना...!क्योंकि सिस्टम तो खुद कुछ दिनों बाद यू ही बिगड़ जाऐगा, मगर खबरदार अपना कोई सिस्टम नहीं बिगडना चाहिए...9413063300

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